माना जाता है कि साबुन का आविष्कार 2800 BC में बबीलोनियंस ने किया था। इस बात का सबूत उस समय साबुन के लिए इस्तेमाल किए गए मिट्टी के बर्तन से मिलता है। उसपर साबुन को बनाने का तरीका भी लिखा गया था जिसके अनुसार जानवरों की चर्बी, राख और पानी को मिलकर साबुन बनाया जाता था।

भारत की बात करें तो ये जानना दिलचस्प है कि यहां साबुन बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी मैसूर रियासत के रजवाड़ों से जुड़ी है। मैसूर सैंडल सोप भारत का पहला साबुन माना जाता है। इंग्लैंड से साबुन बनाने की तकनीक सीखकर एक युवा कैमिस्ट गरलपुरी शास्त्री ने इतना शानदार साबुन बनाया कि तब ब्रिटेन के शाही घरानों में भी उसी का इस्तेमाल होने लगा।

और आज साबुन कई रूप और रंग ले चूका है, साबुन आज न सिर्फ त्वचा के लिए बल्कि कई अलग अलग जररतो के लिए भी इसका तस्तेमाल किया जाता हैं।

और अगर आप सीख लेते हैं की कैसे आप अलग अलग तरह के साबुन बना सकते है तो आप अपनी त्वचा के लिए और अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए आप बना सकते है।

इस क्लास में मैं खुद आपको ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बताऊंगा की कैसे आप बाजार में मिलने वाले कई केमिकल युक्त साबुन की जगह पर एक बेहतर आर्गेनिक पूरी तरह से नेचुरल साबुन बना सकते है।

तो आज ही इस क्लास के लिए रजिस्टर करे.

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